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दिल्ली प्रदूषण मामले में आज सुप्रीम कोर्ट हाँ, दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण मामले में आज (11 दिसंबर, 2025) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।


                                            





CAQM (कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट) द्वारा एक्शन प्लान: CAQM ने प्रदूषण से निपटने के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपायों का एक विस्तृत कार्य योजना (एक्शन प्लान) सुप्रीम कोर्ट को सौंपा।


पुराने वाहनों पर चिंता: CAQM ने कोर्ट को बताया कि पर्याप्त कठोर कार्रवाई की कमी और सुप्रीम कोर्ट के 12 अगस्त के एक आदेश के कारण 63 लाख से अधिक पुराने (End-of-Life Vehicles - ELVs) वाहन अभी भी सड़कों पर चल रहे हैं, जो प्रदूषण में योगदान दे रहे हैं।
CAQM ने अनुरोध किया है कि BS-III और उससे नीचे के उत्सर्जन मानक वाले वाहनों को अगस्त के आदेश से बाहर रखा जाए ताकि उन्हें सड़कों से हटाया जा सके।


अन्य सुझाव:

सड़कों पर पार्किंग पर सख्ती से रोक लगाने के लिए "जीरो टॉलरेंस" की नीति अपनाई जाए।
सड़क की धूल नियंत्रण के लिए नियमित मैकेनिकल स्वीपिंग और पानी का छिड़काव किया जाए।

2000cc या उससे अधिक क्षमता वाली लग्जरी डीजल कारों/SUVs पर मौजूदा 1% से अधिक पर्यावरण संरक्षण शुल्क (Environmental Protection Charges) लगाया जाए।

उद्योगों के लिए सख्त प्रदूषण मानक तय किए जाएं और कोयले का उपयोग बंद हो।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार और संबंधित एजेंसियों को फटकार लगाई थी और प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक एक्शन प्लान तैयार करने का निर्देश दिया था।





                                          


CAQM ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक व्यापक योजना प्रस्तुत की, जिसे दो भागों में बांटा गया है:

1. ⚙️ अल्पकालिक उपाय (Immediate/Short-Term Measures)
ये वे उपाय हैं जिन्हें तत्काल या बहुत कम समय-सीमा में लागू करने का सुझाव दिया गया है:


पुराने वाहनों पर कार्रवाई:

CAQM ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि BS-III और उससे नीचे के उत्सर्जन मानक वाले सभी End-of-Life Vehicles (ELVs) को सड़कों से हटाने की अनुमति दी जाए, भले ही उन्हें फिटनेस प्रमाण पत्र मिला हो।
2000cc या उससे अधिक क्षमता वाली लग्जरी डीजल गाड़ियों/SUVs पर मौजूदा $1\%$ की दर से अधिक पर्यावरण संरक्षण शुल्क (EPC) लगाया जाए।

सड़क की धूल नियंत्रण:

सड़कों पर उड़ने वाली धूल को नियंत्रित करने के लिए नियमित और व्यापक यांत्रिक स्वीपिंग (Mechanical Sweeping) हो।
सड़क की धूल और निर्माण स्थलों पर प्रदूषण कम करने के लिए पानी और नमक के घोल (brine solution) का नियमित छिड़काव किया जाए।

पार्किंग पर सख्ती:

सड़कों पर अनधिकृत पार्किंग (Unauthorized Parking) पर "जीरो टॉलरेंस" की नीति लागू की जाए और इसे सख्ती से हटाया जाए।



                                            


उद्योग और ईंट-भट्ठे:

प्रदूषण फैलाने वाले औद्योगिक इकाइयों और ईंट-भट्ठों पर लगातार और सख्त निगरानी रखी जाए।

2. 🌳 दीर्घकालिक उपाय (Long-Term Measures)
ये वे उपाय हैं जो एक विस्तृत और स्थायी समाधान के लिए आवश्यक हैं:



वाहनों का प्रतिस्थापन:

पेट्रोल/डीजल वाहनों को धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) और CNG वाहनों से बदलने के लिए बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन और योजनाएं शुरू की जाएं।
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के आसपास बड़े पार्किंग एरिया बनाए जाएं।

सार्वजनिक परिवहन का विस्तार:

लोगों को निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने के लिए प्रेरित करने हेतु मेट्रो, बस और रैपिड रेल सेवाओं का तेज़ी से विस्तार किया जाए।

औद्योगिक ईंधन परिवर्तन:

कोयले और अन्य अत्यधिक प्रदूषणकारी ईंधनों का उपयोग पूरी तरह से बंद किया जाए। उद्योगों को प्राकृतिक गैस (PNG) या अन्य स्वच्छ ईंधनों पर स्थानांतरित किया जाए।


निर्माण और विध्वंस (C&D) नियमों का पालन:

निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के लिए बनाए गए सख्त नियमों (Dust Mitigation Norms) का 100% पालन सुनिश्चित किया जाए।

पराली जलाना:

पराली (फसल अवशेष) जलाने की समस्या से निपटने के लिए किसानों को प्रभावी और व्यवहार्य विकल्प प्रदान किए जाएं।

ये प्रमुख सिफारिशें CAQM ने सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी हैं, जिन पर कोर्ट अब सरकार और संबंधित प्राधिकरणों को कार्रवाई करने का निर्देश दे सकता है।





                                      


CAQM ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 12 अगस्त, 2024 को सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ ने यह आदेश दिया था कि जिन End-of-Life Vehicles (ELVs) के पास वैध फिटनेस प्रमाण पत्र (Valid Fitness Certificate) और वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (Valid PUC Certificate) है, उन्हें सड़कों पर चलने से नहीं रोका जा सकता।



CAQM की समस्या और अनुरोध

CAQM के अनुसार, इस आदेश ने उनके प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों में एक बड़ी चुनौती पैदा कर दी, क्योंकि:

  1. पुराने वाहनों की बड़ी संख्या: इस आदेश के कारण, दिल्ली-एनसीआर में 63 लाख से अधिक पुराने वाहन (डीजल के 15 वर्ष और पेट्रोल के 10 वर्ष से पुराने) अभी भी सड़कों पर चल रहे हैं।


  2. प्रदूषण का स्रोत: इनमें से कई वाहन, खासकर BS-III और उससे नीचे के उत्सर्जन मानकों वाले, अत्यधिक प्रदूषण फैलाते हैं, भले ही उनके पास कागजी कार्रवाई पूरी हो।



  3. कानूनी बाध्यता: CAQM और परिवहन विभाग, सुप्रीम कोर्ट के इस विशिष्ट आदेश के कारण, उन पुराने वाहनों को जब्त करने या हटाने में संकोच कर रहे थे जिनके पास वैध फिटनेस प्रमाण पत्र था।


इसी कारण, CAQM ने अब सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि:


  • BS-III और उससे नीचे के उत्सर्जन मानक वाले पुराने वाहनों को 12 अगस्त के इस आदेश के दायरे से बाहर रखा जाए


  • इससे उन्हें सड़कों से हटाने की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सकेगी और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।



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