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कर्तिक जी भगवान शिव के पुत्र और हिंदू पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण देवता हैं। उनका जन्म भगवान शिव और माता पार्वती के घर हुआ था। कर्तिक जी को भगवान शिव के छह पुत्रों में से एक माना जाता है, जिन्हें कार्तिकेय भी कहा जाता है।

 



जन्म और बचपन:
कर्तिक जी का जन्म एक दिलचस्प कहानी से जुड़ा हुआ है। भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के बाद, उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। लेकिन भगवान शिव ने अपने पुत्र को एक विशेष तरीके से जन्म देने का फैसला किया। उन्होंने अपने पुत्र को अग्नि कुंड में जन्म देने का निर्णय लिया।
अग्नि कुंड में जन्म लेने के बाद, कर्तिक जी को कृतिका नामक एक देवी ने पाला। कृतिका ने कर्तिक जी को अपने पुत्र के रूप में पाला और उनकी देखभाल की।
कर्तिक जी का बचपन बहुत ही रोमांचक था। वह एक बहुत ही साहसी और शक्तिशाली बालक थे। उन्होंने अपने बचपन में ही कई असुरों का वध किया था।
देवताओं का सेनापति:
कर्तिक जी को देवताओं का सेनापति नियुक्त किया गया था। उन्होंने अपनी सेना के साथ मिलकर कई असुरों का वध किया था। कर्तिक जी की सबसे बड़ी जीत तारकासुर नामक असुर के वध में थी।
तारकासुर एक बहुत ही शक्तिशाली असुर था, जिसने देवताओं को पराजित किया था। लेकिन कर्तिक जी ने अपनी सेना के साथ मिलकर तारकासुर का वध किया था।
पूजा और महत्व:
कर्तिक जी की पूजा हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को साहस, शक्ति और ज्ञान प्राप्त होता है। कर्तिक जी को भगवान शिव के पुत्र के रूप में पूजा जाता है।
कर्तिक जी का महत्व हिंदू धर्म में बहुत ही अधिक है। वह एक बहुत ही शक्तिशाली और साहसी देवता हैं, जिन्होंने अपनी सेना के साथ मिलकर कई असुरों का वध किया था।
निष्कर्ष:
कर्तिक जी का जीवन चरित्र और इतिहास बहुत ही रोमांचक और प्रेरणादायक है। वह एक बहुत ही शक्तिशाली और साहसी देवता हैं, जिन्होंने अपनी सेना के साथ मिलकर कई असुरों का वध किया था। कर्तिक जी की पूजा करने से व्यक्ति को साहस, शक्ति और ज्ञान प्राप्त होता है।

 
कर्तिक जी के अवतारों के बारे में विभिन्न मतभेद हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं में कर्तिक जी के छह अवतारों का उल्लेख किया गया है:
  1. शारदानंद: यह कर्तिक जी का पहला अवतार है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के घर हुआ था।
  2. शिवकुमार: यह कर्तिक जी का दूसरा अवतार है, जो भगवान शिव के पुत्र के रूप में जाना जाता है।
  3. कुमार: यह कर्तिक जी का तीसरा अवतार है, जो भगवान शिव के पुत्र के रूप में जाना जाता है।
  4. स्कंद: यह कर्तिक जी का चौथा अवतार है, जो भगवान शिव के पुत्र के रूप में जाना जाता है।
  5. सुब्रह्मण्यम: यह कर्तिक जी का पांचवा अवतार है, जो भगवान शिव के पुत्र के रूप में जाना जाता है।
  6. मुरुगन: यह कर्तिक जी का छठा अवतार है, जो भगवान शिव के पुत्र के रूप में जाना जाता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कर्तिक जी के अवतारों के बारे में विभिन्न मतभेद हैं और विभिन्न पौराणिक कथाओं में उनके अवतारों के बारे में अलग-अलग जानकारी दी गई है।

 
कर्तिक जी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है, और उन्हें भगवान शिव के पुत्र के रूप में पूजा जाता है। कर्तिक जी के देवता लोगों में बहुत महत्व है, और उन्हें कई कार्यों के लिए जाना जाता है:
महत्व:
  1. युद्ध के देवता: कर्तिक जी को युद्ध के देवता के रूप में पूजा जाता है, और उन्हें साहस और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
  2. भगवान शिव के पुत्र: कर्तिक जी भगवान शिव के पुत्र हैं, और उन्हें भगवान शिव के परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य माना जाता है।
  3. देवताओं के सेनापति: कर्तिक जी को देवताओं के सेनापति के रूप में पूजा जाता है, और उन्हें युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए जाना जाता है।
कार्य:
  1. तारकासुर का वध: कर्तिक जी ने तारकासुर नामक असुर का वध किया था, जो देवताओं के लिए एक बड़ा खतरा था।
  2. सूरापद्म का वध: कर्तिक जी ने सूरापद्म नामक असुर का वध किया था, जो देवताओं के लिए एक बड़ा खतरा था।
  3. देवताओं की रक्षा: कर्तिक जी ने देवताओं की रक्षा की है, और उन्हें कई खतरों से बचाया है।
  4. युद्ध में विजय: कर्तिक जी ने युद्ध में विजय प्राप्त की है, और उन्हें युद्ध के देवता के रूप में पूजा जाता है।
    कर्तिक जी को पूजा करने के लिए कई मंत्रों का उपयोग किया जाता है, और उनकी पूजा विभिन्न तरीकों से की जाती है। यहाँ कुछ मंत्र और पूजा विधि दी गई है:
    मंत्र:
    1. ओम श्री कर्तिकेयाय नमः: यह मंत्र कर्तिक जी को पूजा करने के लिए उपयोग किया जाता है।
    2. ओम श्री स्कंदाय नमः: यह मंत्र कर्तिक जी को पूजा करने के लिए उपयोग किया जाता है।
    3. ओम श्री मुरुगनाय नमः: यह मंत्र कर्तिक जी को पूजा करने के लिए उपयोग किया जाता है।
    पूजा विधि:
    1. स्नान और पूजा: कर्तिक जी की पूजा करने के लिए, सबसे पहले स्नान करें और फिर पूजा स्थल पर बैठें।
    2. ध्यान और मंत्र: कर्तिक जी की पूजा करने के लिए, ध्यान करें और मंत्रों का जाप करें।
    3. फूल और फल: कर्तिक जी की पूजा करने के लिए, फूल और फल चढ़ाएं।
    4. आरती और प्रसाद: कर्तिक जी की पूजा करने के लिए, आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं।
    देश और मंदिर:
    कर्तिक जी के मंदिर विभिन्न देशों में स्थित हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख देश और मंदिर निम्नलिखित हैं:
    1. भारत: भारत में कर्तिक जी के कई मंदिर हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख मंदिर तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में स्थित हैं।
    2. श्रीलंका: श्रीलंका में कर्तिक जी के कई मंदिर हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख मंदिर कैटरगामा, जाफना और कोलंबो में स्थित हैं।
    3. मलेशिया: मलेशिया में कर्तिक जी के कई मंदिर हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख मंदिर कुआलालंपुर, पिनांग और जोहोर में स्थित हैं।
    4. सिंगापुर: सिंगापुर में कर्तिक जी के कई मंदिर हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख मंदिर सिंगापुर शहर और चांगी में स्थित हैं।
    कुछ प्रमुख मंदिर जो कर्तिक जी को समर्पित हैं:
    1. पलानी मुरुगन मंदिर: यह मंदिर तमिलनाडु, भारत में स्थित है।
    2. कैटरगामा मुरुगन मंदिर: यह मंदिर श्रीलंका में स्थित है।
    3. बाटु केव्स मुरुगन मंदिर: यह मंदिर मलेशिया में स्थित है।
    4. श्री शिवन मंदिर: यह मंदिर सिंगापुर में स्थित है।

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