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भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120ए से 132 तक राज्य के विरुद्ध अपराधों से संबंधित हैं। इन धाराओं में राजद्रोह, विद्रोह, और अन्य अपराधों को परिभाषित किया गया है जो देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता को खतरा पहुंचा सकते हैं।

 


मुख्य बिंदु:
  1. राजद्रोह (धारा 124ए): - इसमें ऐसी गतिविधियाँ शामिल हैं जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के प्रति घृणा या अवमानना फैलाती हैं या फैलाने का प्रयास करती हैं। - इसमें लिखना, बोलना, या अन्य तरीके से असंतोष या विद्रोह को बढ़ावा देना शामिल हो सकता है।
  2. देशद्रोह और युद्ध छेड़ना (धारा 121-123): - इसमें भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ने या युद्ध छेड़ने का प्रयास करने जैसे कृत्य शामिल हैं। - इसमें ऐसे कृत्य भी शामिल हैं जो भारत के खिलाफ युद्ध की तैयारी या प्रोत्साहन करते हैं।
  3. राज्य के प्रति अपमानजनक व्यवहार (धारा 124): - इसमें भारत की संप्रभुता और अखंडता के प्रति असंतोष या अवमानना फैलाने के कृत्य शामिल हैं।
  4. अधिकारियों को डराना या धमकाना (धारा 124-125): - इसमें सरकारी अधिकारियों को डराने या धमकाने के कृत्य शामिल हैं जो उनकी ड्यूटी के निर्वहन में बाधा डाल सकते हैं।
  5. विद्रोह (धारा 121ए): - इसमें भारत सरकार के विरुद्ध विद्रोह की साजिश रचना या उसे बढ़ावा देना शामिल है।
  6. सैनिक और नौसैनिक विद्रोह (धारा 131-132): - इसमें सशस्त्र बलों में विद्रोह को बढ़ावा देना या सैनिकों को ड्यूटी के प्रति अनुत्साहित करना शामिल है।
सजा:
इन अपराधों के लिए सजा का प्रावधान है, जिसमें जुर्माना और कारावास दोनों शामिल हो सकते हैं। सजा की अवधि अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती है और इसमें आजीवन कारावास से लेकर दीर्घकालीन कारावास की सजा भी हो सकती है।
कानूनी प्रक्रिया:
  1. एफआईआर और जांच: - इन अपराधों के संबंध में पुलिस एफआईआर दर्ज करती है और विस्तृत जांच करती है।
  2. मुकदमा चलाना: - जांच के बाद, यदि पर्याप्त सबूत मिलते हैं, तो अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा चलाया जाता है।
  3. सजा: - अदालत द्वारा दोषी पाए जाने पर सजा सुनाई जाती है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
  • इन अपराधों की गंभीरता को देखते हुए, कानूनी प्रक्रिया बहुत सख्त होती है।
  • इन अपराधों में जमानत भी बहुत मुश्किल से मिलती है।
इन अपराधों के संबंध में कानूनी सलाह लेना और विस्तृत जानकारी के लिए वकील से परामर्श करना उचित होगा।


                                         


राज्य के विरुद्ध अपराध (धारा 120ए-132): सजा और महत्वपूर्ण मामले
सजा:
  1. राजद्रोह (धारा 124ए): - आजीवन कारावास (जिसमें 20 वर्ष तक की सजा हो सकती है) या - तीन वर्ष से लेकर उम्रकैद तक की सजा और जुर्माना।
  2. देशद्रोह और युद्ध छेड़ना (धारा 121): - मृत्युदंड या आजीवन कारावास और जुर्माना।
  3. विद्रोह (धारा 121ए): - आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
  4. राज्य के प्रति अपमानजनक व्यवहार (धारा 124): - तीन वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
  5. सैनिक और नौसैनिक विद्रोह (धारा 131-132): - आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
महत्वपूर्ण मामले:
  1. बाल गंगाधर तिलक मामला (1897): - लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया था क्योंकि उन्होंने ब्रिटिश सरकार की नीतियों की आलोचना की थी। उन्हें दोषी पाया गया और सजा सुनाई गई।
  2. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी: - कई क्रांतिकारियों जैसे भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु पर देशद्रोह और युद्ध छेड़ने के आरोप लगाए गए और उन्हें मृत्युदंड दिया गया।
  3. बिनायक दामोदर सावरकर मामला (1909): - विनायक दामोदर सावरकर पर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया गया और उन्हें काला पानी की सजा दी गई।
अपराधी:
  1. भगत सिंह: - भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी, जिन्हें ब्रिटिश सरकार के खिलाफ साजिश और हत्या के आरोप में मृत्युदंड दिया गया।
  2. विनायक दामोदर सावरकर: - जिन्हें ब्रिटिश सरकार के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में काला पानी की सजा दी गई।
  3. बटुकेश्वर दत्त: - क्रांतिकारी जिन्होंने सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट किया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
कानूनी प्रक्रिया और महत्वपूर्ण बिंदु:
  1. एफआईआर और जांच: - इन अपराधों के संबंध में पुलिस एफआईआर दर्ज करती है और विस्तृत जांच करती है।
  2. मुकदमा चलाना: - जांच के बाद, यदि पर्याप्त सबूत मिलते हैं, तो अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा चलाया जाता है।
  3. सजा: - अदालत द्वारा दोषी पाए जाने पर सजा सुनाई जाती है।
  4. जमानत: - इन अपराधों में जमानत बहुत मुश्किल से मिलती है क्योंकि ये अपराध गंभीर माने जाते हैं।
इन अपराधों के संबंध में कानूनी सलाह लेना और विस्तृत जानकारी के लिए वकील से परामर्श करना उचित होगा।


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